शिक्षा - जगत

नई शिक्षा नीति के अनुरूप पठन-पाठन के लिए सिखाए गए नए तौर-तरीके

शिक्षण के नए तरीके अपनाने जोबी कॉलेज में हुई एन.ई.पी. 2020 वर्कशॉप

रायगढ़ – – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अमल में लाने के लिए शासन द्वारा राज्य स्तर से प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स के माध्यम से कार्यशालाएं आयोजित कर जिले के उच्च शिक्षा शिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में, शहीद वीर नारायण सिंह शासकीय महाविद्यालय जोबी-बर्रा में विगत बुधवार 3 जुलाई को के.एम.टी. महाविद्यालय रायगढ़ से आए हिंदी विषय के सहायक प्राध्यापक राज कुमार राठौर ने एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान जोबी महाविद्यालय सहित बी.एस.पी. आदिवासी महाविद्यालय मुरा-बाजार और ओम माया सुन्दरम महाविद्यालय छाल के प्राचार्य, प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं अधिकारी-कर्मचारियों को नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नवाचारिक तरीकों का परिचय दिया।

प्रोजेक्टर से दी गई जानकारी – – उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न शैक्षिक योजनाओं, पाठ्यक्रमों और शिक्षा सामग्रियों के उपयोग एवं हालिया बदलाव के बारे में अद्यतन जानकारी दी, जिससे वे अपने शिक्षण स्तर को इस ओर निरूपित कर सकें। वहीं शुरूआत में जोबी महाविद्यालय के प्राचार्य रविन्द्र कुमार ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई शिखा नीति को विशेष तौर पर विविधताओं और नवीन अनुसंधान परं केन्द्रीकृत रखा गया है। इससे, अनुकूलित नवाचार, नई तकनीकें और कौशल विकास आदि अपनाने में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों दोनों को सुगमता होगी। साथ ही संस्थागत अभावों की स्थिति भी निर्मित नही होगी। बढ़ते क्रम में मास्टर ट्रेनर राठौर ने विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया कि पहले की उच्च शिक्षा शिक्षण पद्धति और नीतियां उस समय की तात्कालिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर आधारित थी। बदलते दौर में गुणवत्तापूर्ण योग्य संकायों और विषयों को लेकर कुछ जटिलताएं महसूस की जाती रहीं, जिन्हें इस नई शिक्षा नीति में दूर कर दिया गया है। उनके अनुसार अब विद्यार्थियों के पास रोजगार उन्मूलन के लिए अपनी रूचि के अनुरूप वैल्यू ऐडेड कोर्स, स्किल डेवलपमेन्ट कोर्स जैसे भी कई विकल्प होंगे।

विद्यार्थियों की मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी – – वहीं स्नातक स्तरीय शिक्षा सेमेस्टर प्रणाली पर आधारित होगी और यदि कोई विद्यार्थी किसी कारण वश अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देता है, तब भी उसकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। इस ओर, एक वर्ष में मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र, दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में डिग्री सहित चौथे वर्ष ऑनर्स डिग्री या ऑनर्स विथ रिसर्च की डिग्री भी प्रदाय करने के प्रावधान भी किए गए हैं। इसके अलावे, प्रशिक्षण के दौरान मूल्यांकन पद्धति में किए गए कई बड़े बदलावों के बारे में भी बतलाया गया। जिसमें सतत् आंतरिक मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक और सेमेस्टर के अंत में 70 प्रतिशत अंकों के लिए परीक्षाएं होंगी। अब, उत्तीर्ण होने के लिए विद्यार्थियों को कम से कम 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे। उल्लेखनीय है कि कार्यशाला के अंतिम दौर में सभी पहलुओं पर पुनरावलोकन किया गया, साथ ही प्रशिक्षणार्थियों के शंका वाले बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा कर उन्हें सटीक परिपालन की ओर अग्रेषित किया गया। इस दौरान, जोबी महाविद्यालय से सहायक प्राध्यापक सुरेन्द्र पाल दर्शन, वासुदेव प्रसाद पटेल, योगेन्द्र कुमार राठिया सहित संलग्न कर्मचारीगण उपस्थित रहे। आयोजन के व्यवस्थागत कार्य में कर्मचारी महेश सिंह सिदार का योगदान सराहनीय रहा।

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