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साहित्य जगत के दीप्तिमान साहित्यकार प्रो अंबिका वर्मा

खूबसूरत शब्दों के माधुर्य से महफिल को बनाते हैं यादगार रायगढ़ – – प्रकृति के बारह मास में यूँ तो हर मास की अपनी एक खूबसूरती है साथ ही विशिष्टता भी परंतु सावन माह की हर बात निराली है। यह महीना भगवान आशुतोष भोलेनाथ जी को अत्यंत ही प्रिय है। वहीं कुदरत भी प्रफुल्लित होकर चहुंओर अपनी हरीतिमा से आच्छादित हो जाती है जिसे देखकर हर मन मयूरा झूम उठता है तो आसमां के बादल भी अपने मनभावन सौंदर्य की झलक दिखाकर हर हृदय को निहाल करता है। साथ ही जब रिमझिम फुहार भी ऐसे खूबसूरत समां में तन को आहिस्ता – आहिस्ता भीगाती है तो फिर जिंदगी की खुशी का क्या कहना… बस खुशी ही शेष रह जाती है। सावन माह की इन्हीं तमाम विशिष्टताओं में भगवान भोलेनाथ और ज्ञान की देवी माता शारदा का विशेष आशीर्वाद पाने का सौभाग्य एक अगस्त 1947 को शहर के अत्यंत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति स्व श्री महेश वर्मा व उनकी अर्द्धागिंनी ममतामयी स्व श्रीमती हीरा देवी के तेजस्वी, विज्ञ सुपुत्र प्रो अंबिका वर्मा को मिला। जो आज विरासत से मिले उच्च संस्कार व भगवान भोलेनाथ जी और विद्या की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती जी के विशेष आशीर्वाद से साहित्य जगत के गगन में अपनी प्रतिभा से दीप्तिमान हैं तो देश व समाज के हर प्रतिष्ठित महफिल को अपनी जुबान के खूबसूरत मीठे हर लफ़्ज़ से रिमझिम फुहार की मानिंद हर मन, हृदय और आत्मा को आनंदित कर रहे हैं। जिसकी खुशी को बयां कर पाना नामुमकिन है।

प्रखर वक्ता यशस्वी गुरु – – शब्दों के जादूगर, कलम के धनी, प्रखर वक्ता प्रो अंबिका वर्मा सर जी के शिष्यों की एक लंबी फेहरिस्त है। जो इनसे ज्ञानार्जन कर आज देश – विदेश में अपने घर परिवार के साथ शहर व राज्य का नाम भी गौरवान्वित कर रहे हैं तो कुछ लोग इनकी ही तरह समाज की भावी पीढ़ी को ज्ञान से तराशने में पूरे मनोयोग से समर्पित हैं। वहीं कुछ लोग साहित्य जगत के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं तो कुछ लोग आज भी इनके श्री चरणों में रहकर ज्ञानार्जन करते हुए अपने भविष्य व समाज को कुछ देने के लिए प्रयासरत हैं।

जुबान से शब्द नहीं फूल झड़ते हैं – – मंच संचालन की कला में श्रद्धेय प्रो अंबिका वर्मा सर जी को महारत हासिल है। अपनी अद्भुत वाक् कला प्रतिभा से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नामचीन कलाकारों, महामहिम राज्यपालों, उच्च राजनेताओं, उच्च पदाधिकारियों सहित अनेक विशिष्टगणों को प्रभावित कर चुके हैं। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शहर के रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में पीठ थपथपाकर इनके मंच संचालन व विद्वता की सरहाना किए थे। इसी तरह मकबूल ग़ज़ल गायक स्व जगजीत सिंह, शहनाई वादक पद्मश्री बिस्मिल्लाह खान, बॉलीवुड गायक तलत अजीज,छत्‍तीसगढ़ के सभी पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल सहित अनेक नामचीन लोग इनके मंच संचालन कला व साहित्य विद्वता के कायल रह चुके हैं और आज भी हर महफिल में इनके यश का जादू बरकरार है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि इनकी जुबान से शब्द नहीं फूल झड़ते हैं।जिसकी खूशबू से हर महफिल सुवासित हो जाती है।

समत्व दृष्टि व नेक भाव से लबरेज – – गुरुवर प्रो अंबिका वर्मा सर जी की दृष्टि समाज के हर लोगों के लिए समत्व है। ये यथायोग्य लोगों पर अपना स्नेह और आशीर्वाद बरसाने में कभी पीछे नहीं रहते। इनका यह विशिष्ट गुण भी। इनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा रहा है। वहीं अपने हृदय की नेक भावना से समाज के जरुरतमंद लोगों की सेवा में भी अपने कोमल हृदय से समर्पित रहते हैं जिसका भान भी नहीं होने देते और नेकी कर दरिया में डाल की कहावत को चरितार्थ करते हुए एक तपस्वी योगी की तरह अपनी साहित्य साधना में तल्लीन रहते हैं।

जारी है साहित्य साधना – – माता वीणावादिनी के अत्यंत ही लाड़ले व विज्ञ सुपुत्र प्रो अंबिका वर्मा सर जी के विराट व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आज भी एक युवा साहित्यकार, प्रखर वक्ता, शानदार मंच संचालक की तरह अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय हर महफिल में दे रहे हैं। जिसे देख सुन जमाने के लोग भी हतप्रभ और निहाल हैं। वहीं आज भी सभी समाचार अखबारों में जब इनका कोई भी लेख प्रकाशित होता है तो हर व्यक्ति का मन पुलकित होकर यही कहता है। वाह! वर्मा सर जी वाह! वाह! माँ शारदेय सुत प्रो अंबिका वर्मा की अद्भुत मंच संचालन कला की प्रतिभा से शहर व राज्य का मान भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है। श्रद्धेय गुरुवर श्री वर्मा जी आज भी अपनी शानदार लेखनी से अपने मंच संचालन की विशिष्ट कला से समाज के बेशुमार युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। साथ ही इनकी साहित्य साधना भी आजपर्यंत महायोगी की तरह अनवरत जारी है। गुरुवर श्री वर्मा जो को भगवान भोलेनाथ जी और माँ शारदे सदैव निरोग और दीर्घायु बनाएँ, जन्मदिन की अशेष हार्दिक शुभकामनाओं के साथ कोटिशः प्रणाम।

और – – –

अपनी मखमली मीठी सदा से,

एक सदी का इतिहास बनाएँ।

हर महफिल में आपकी खासियत

खूबसूरत बन उजास जगमगाएँ।।           

  (हरिशंकर गौरहा)

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