कला - साहित्य

काव्य वाटिका की संस्थापिका आशा मेहर को मिली राष्ट्रीय मानद उपाधि

रायगढ़ – – डॉ आशा मेहर ‘किरण’ को ऑनरेरी डॉक्टरेट अवार्ड ” लिट्रेचर एण्ड सोशल वर्क के लिए दिल्ली के मैजिक एण्ड आर्ट यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान किया गया। शहर की प्रतिष्ठित वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती आशा मेहर साहित्य के साथ – साथ समाज सेवा के श्रेत्र में निरंतर कार्य कर रहीं हैं।
जिसके लिए उन्हें अनेकों सम्मान और अवार्ड मिल चुके हैं। वहीं इसका श्रेय वे अपने पति सुशील कुमार मेहर को देती हैं। वे कहतीं हैं लेखन का क्षेत्र हों या फिर समाज सेवा इनका हमेशा सहयोग मिलता है। अगर वे प्रोत्साहित नहीं करते तो आज यह अवार्ड नहीं मिल पाता। स्कूल के दिनों में ही लेखन के क्षेत्र में अभिरुचि रखने वाली आशा मेहर आज कई साहित्यिक पटलों की संरक्षिका व संयोजिका है। संवेदना पर इनकी लेखनी चलती है। जल्दी ही इनकी चार पुस्तकें सभी को पढ़ने को मिलेंगी।

इन ग्रंथों की सहभागिता से मिला अवार्ड – –
अतंरराष्ट्रीय स्तर पर लिखे गये ग्रंथ ( 1) भारत को जानो जो पूरे भारत की सभ्यता, संस्कृति, भौगोलिक ,त्योहार, रहन सहन को छंद मे लिखा गया है जिसमें दो राज्यों (मणिपुर, गुजरात) के प्रमुख समन्वयक, समीक्षक की भूमिका निभाई जो एक कठिन कार्य था।


अवार्ड – इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड, गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड स्पेन द्वारा
(2) छत्तीसगढ़ दर्शन

  • इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड
  • गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड
  • राष्ट्रीय सर्वोत्तम बुक ऑफ रिकार्ड
  • लंदन बुक ऑफ रिकार्ड
  • बेस्ट आथर अवार्ड
  • राष्ट्रीय इंडियन ऑईकान अवार्ड
  • राष्ट्रीय एक्सलेंस अवार्ड
  • इंडिया प्राऊड ऑफ बुक रिकार्ड।
    ( 3) छंद बद्ध भारत का संविधान
  • गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड
    (4) चंद्रयान 3 विश्व कीर्तिमान
  • राज्य स्तरीय सम्मान
  • गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड
    इस तरह इन चार ग्रंथों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण डॉक्टरेट की मानक उपाधि मिली।
    इन सभी ग्रंथों को छंद में लिखना कठिन था किंतु असंभव नहीं था। डॉक्टरेट की उपाधि मिलने पर समाज, परिवार, साहित्यकारों की ओर से उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ व बधाइयाँ मिल रही है।

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