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छंद-रूप घनाक्षरी”हार नहीं मानूँगा” ~~~~~
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ओजस्वी प्रखर वक्ता, भारतीय राजनेता,
अटल भारत रत्न,सपूत थे देशभक्त।
राष्ट्र सेवा मुख्य कर्म,
मानव का सच्चा धर्म
,‘सुषमा’ संकल्प दृढ़,रहते थे अनुरक्त।
सरल हृदय कवि, भारत प्रखर
रवि,
हार नहीं मानूँगा मैं,कहते थे हरवक्त।
शब्दों के थे जादूगर, राष्ट्रहित काम कर,
संकट दिखाए धैर्य, ‘कविता से अभिव्यक्त।।
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…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)