कला - साहित्य
श्री हरि ..वृंदा

धन्य धन्य हे तुलसी माई ,
पावन गाथा जग में छाई..
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आओ घर आँगन महकाएँ।
पूजन कर शुभ दीप जलाएँ।।
गाएँ मंगलगान बधाई।
कार्तिक शुभ प्रबोधिनी आई।
मंडप ईख सजाओ न्यारे।
हरि वृंदा सह खड़े सहारे।।
शंखनाद शुभ घट जल बरसे।
धरती-अंबर जन-जन हरसे।।(१)
भाँति-भाँति के द्रव्य सजाएँ।
श्री हरि-वृंदा ब्याह रचाएँ।।
जय-जय जय हे तुलसी माते।
वंदन कर ‘सुषमा’ गुण गाते।।
माँ वृंदा औषध गुण धानी।
सत्यवती मैया सुखदानी।।
चरण नमन कर शीश झुकाऊँ।
माँ तुलसी तेरे गुण गाऊँ।।(२)
श्री हरि सिर धारण शुभ करते।
बिन तुलसी मुख भोग न धरते।।
शरण तिहारे जो भी आए।
सारे दुख-संताप मिटाए।।
विष्णु शिला प्रभु रूप निराला।
जीवन में हो देव उजाला।।
शुभाशीष वर हमको मिलता।
कष्ट कटे अरु जीवन खिलता।।(३)
पूजन कर शुभ फल हम पाते।
सुख-समृद्धि धन वैभव आते।।
धन्य-धन्य हे तुलसी माई।
पावन गाथा जग में छाई।।
वृंदा हरि शुभ पग हैं धरते।
वेदों के स्वर मन को हरते।।
धूप-दीप अरु सुमन चढ़ाएँ।
मंगल गीत सभी मिल गाएँ।(४)

~~~✍️सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)