स्वास्थय - संसार

भारत देश में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन लड़कियों की शिक्षा में एक प्रमुख बाधा


मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर विशेष
(आलेख – रंजना नाग)

मासिक धर्म स्वच्छता का उचित प्रबंधन शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और किशोरी बालिकाओं की गरिमा दोनों के लिये महत्वपूर्ण एवं अभिन्न हिस्सा है। मासिक धर्म महिला के प्रजनन चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो कि युवावस्था से शुरू होता है। भारत में मासिक धर्म वाली महिलाओं की संख्या 355 मीलियन, जो कि देश की आबादी का लाभण 30% हैं। विद्यालयों में अपर्याप्त पानी और स्वच्छता सुविधायें मासिक धर्म के दौरान लड़कियों के विद्यालय जाने में प्रमुख बाधा हैं। उचित स्वच्छता एवं गोपनियता बनाये रखने की उनके अधिकार से समझौता करना हैं। विकासशील देशों में आधे से अधिक विद्यालयों में या तो शौचालयों का अभाव है या है भी तो उनमें साफ-सफाई एवं गुणवत्ता की कमी है। एनजीओं दसरा की 2014 की एक रिपोर्ट स्पॉट ऑन के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 23 मिलियन किशोरी बालिकायें मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की सुविधाओं की कमी के कारण विद्यालय पढाई छोड़ देती है। इसी प्रकार विश्व बैंक के एक सर्वे के अनुसार किशोरी बालिकायें प्रतिमाह लगातार 4 दिनों का विद्यालय से अवकाश लेती हैं, जिसका अर्थ है 10-20% वार्षिक विद्यालय में अनुपस्थित रहती हैं, जिसका उनकी उपलब्धियों एवं शिक्षा पर दुष्परिणाम पड़ता हैं।

जागरूकता की कमी – – भारत देश में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में जागरूकता की कमी एक बड़ी समस्या है। दसरा एन.जी.ओं. की रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं, जिसके अनुसार बेटियों के साथ-साथ 70% माताओं ने भी मासिक धर्म को गंदा माना है, और 71% किशोरी बालिकाओं ने स्वीकार किया है कि मासिक धर्म शुरू होने से पहले वो मासिक धर्म से अंजान थी। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की 2011-12 रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 88% किशोरियों ने अपनी माताओं से मासिक धर्म के विषय में बात की हैं तथा ज्यादातर माताएँ खुद अंजान थीं कि मासिक धर्म क्या हैं और इसका स्वच्छता प्रबंधन वो अपनी बेटियों को कैसे सिखायें। शिक्षामंत्रालय के 2015 के एक सर्वे में पाया गया कि बांवों में 63% स्कूलों में शिक्षकों ने कभी भी मासिक धर्म और इसके स्वच्छता प्रबंधन पर चर्चा नहीं की है।

मासिक धर्म एवं मासिक धर्म स्वच्छता पर सरकारी योजनायें इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुये छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ने चुप्पी तोड़ो अभियान की शुरुआत की थी जिसके तहत किशोरियों एवं महिलाओं को मासिक धर्म भ्रांति एवं स्वच्छता के विषय में जागरूक करते हुए उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता का उचित प्रबंधन सिखाया जा सके एवं उन्हें विभिन्न प्रकार के गंभीर रोगों से बचाया जा सके। इसके अलावा किशोरी बालिकाओं को विद्यालय छोड़ने से रोकने एवं मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिये छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने 24 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने “शुचिता योजना” की शुरुआत की जिसके तहत् राज्य के 2000 शासकीय स्कूलों में सेनेटरी वेंडिन मशीन एवं सेनेटरी भस्मक मशीन लगाई गई एवं भविष्य में इस योजना से महाविद्यालयों एवं निजी विद्यालयों को भी जोडने का निर्णय लिया गया हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में प्राथमिकता से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा/मितानिन के माध्यम से उच्च गुणवत्ता और सब्सिडी वाले सेनेटरी पैड उपलब्ध करायें। केंद्र सरकार ने 2015 में जिलों में “सबला योजना” शुरू की जिसमें मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर विशेष और दिया गया। हाल ही में 8 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सरकार ने 100% ऑक्सी बायोडिलेडेबल सेनेटरी नेपकिन ‘सुविधा’ लॉन्च की हैं जिसकी कीमत रु. 2.50/ पैड हैं जो कि “प्रधानमंत्री जन औषधि योजना” भंडार में मिलेगी।

समस्याएं गंभीर रुप ले रही हैं – – महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव: स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2002, 2005, 2007, और 2012 में किये गये सर्वेक्षण में पाया गया कि मासिक धर्म से संबंधित अधिकांश समस्यायें रोके जाने योग्य है लेकिन कम जागरूकता और खराब मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के कारण ये समस्यायें गंभीर रूप ले रही हैं।वहीं भारत में मोटे तौर पर 120 मिलियन किशोरियों को मासिक धर्म में बड़बड़ी होती हैं और हर साल सर्वाइकल कैंसर से लगभग 60,000 मौतें होती हैं जिनमें दो तिहाई खराब मासिक धर्म स्वच्छता के कारण होती हैं। मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी अन्य समस्यायें जैसे एनिमिया, प्रजनन मार्ग में संक्रमण के साथ-साथ मानसिक समस्यायें जैसे चिंता, शर्मिन्दगी आदि हैं।

नितांत जरुरी है जागरूकता – – मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना हैं कि किशोरी बालिकाओं और महिलायें अपने पीरियड्‌स का हाइजीनिक तरीके से प्रबंधन कर सकें और स्वास्थ्य शिक्षा, नौकरी और अन्य संबंधित लाभों का अनुभव कर सकें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हमें मासिक धर्म व मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जागरूकता सुरक्षित उत्पादों तक पहुँच और जल व्यवस्था स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे के बारे प्रयासों की आवश्यकता हैं। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये वर्ष 2014 से 28 मई को दुनिया भर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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