अन्य गतिविधियाँ

सरस्वती शिशु मंदिर राजीव नगर रायगढ़ में महर्षि वेदव्यास जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई

रायगढ़ – स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर राजीव नगर रायगढ़ में महर्षि वेदव्यास जी की जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम विद्यालय के प्राचार्य जगदेव प्रसाद पटेल एवं वरिष्ठ आचार्य कुबेर लाल माली के द्वारा भारतीय परम्परा के अनुसार विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती,ओम् और भारत माता के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मंचासीन आचार्यों एवं उपस्थित आचार्य बन्धु भगिनीयों का तिलक रोली चंदन लगाकर भैया शिवांश होता एवं बहिन खुशी यादव के द्वारा स्वागत – पूजन किया गया। भैया – बहनों के द्वारा गुरु की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए प्रसंग , गीत , श्लोक , कविता ओज पूर्ण रखा गया। वहीं आचार्य कुबेर लाल माली ने कहा कि -सब धरती कागद करुं, लेखनी सब बनराज।सात समंदर की मसि करुं ,गुरु गुण लिखा न जाय। भावार्थ यदि सारी धरती को कागज मान लिया जाए ,सारे जंगल के वनों की लकड़ी को कलम बना ली जाए सातों समुद्र के जल स्याही हो जाए तो भी गुरु की महिमा (गुण) नहीं लिखा जा सकता।

ममता वंजारी आचार्या ने कहा कि – गुरु कुम्हार शीश कुंभ है,गढ़ – गढ़ काढ़े खोट।अन्तर हाथ सहार दे , बाहर मारे चोट।दीपिका साहू आचार्या ने कहा – गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय।बलिहारी गुरु आपने , गोविंद दियो मिलाय।रजनी थवाईत आचार्या ने कहा कि – गुरुर्ब्रह्म गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।गुरुर्साक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।उद्बोधन की कड़ी में विजया लक्ष्मी पटेल आचार्या, सुषमा होता आचार्या , योगिता राठौर आचार्या,मोना यादव आचार्या , अंजू चन्द्रा आचार्या ने गुरु के महत्वपूर्ण आदर्शों की ओर भैया बहनों का ध्यान आकृष्ट किया। वहीं कविता तिवारी आचार्या ने गुरु महिमा पर आधारित गीत प्रस्तुत किया गया। रेवती मालाकार आचार्या ने महर्षि वेदव्यास के जन्म की कथा से लेकर जीवन  परिचय पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया।कार्यक्रम के अंत में संस्था प्रमुख जगदेव प्रसाद पटेल प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में भैया-बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि समर्थ गुरु रामदास की कृपा दृष्टि से छत्रपति शिवाजी हिन्दवी साम्राज्य स्थापित करने में सामर्थ्यवान बना। वहीं गुरु धौम्य के शिष्य आरुणि और उपमन्यु , द्रोणाचार्य गुरु मान कर एकलव्य ने श्रेष्ठ धनुर्धर  का नाम गुरुभक्ति के लिए जाना जाता है। दत्तात्रेय जी ने अपने जीवन में 24 गुरु बनाए। इसी प्रकार हर व्यक्ति अपने जीवन में गुरु की आवश्यकता होती है। इस प्रकार गुरु की महिमा वर्णित किया गया। गुरु की महिमा पर- गुरु की महिमा अनंत,अनंत किया उपकार।लोचन अनंत उघारिया , अनंत दिखावन हार।।कार्यक्रम का सफल संचालन सांस्कृतिक उत्सव प्रमुख रेवती मालाकार आचार्या ने की। उक्त जानकारी प्रचार प्रसार प्रमुख कुबेर लाल माली आचार्य ने दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
<p>You cannot copy content of this page</p>