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स्नेह से भरा मुस्कान और हृदय में समत्व भाव यही सर्व चहेता रामचंद्र शर्मा की विशिष्ट पहचान


रायगढ़ – – मासूम बच्चों से जब मन मिले तो उम्र पचास की तीन बरस की हो जाए, सोलह बरस की उम्र से मिले तो किशोरावस्था सा हो जाए और हम उम्र से मिले तो फिर याराना का क्या कहना..।वहीं जब सम्मानीय बुजुर्गों से मिलें तो मन उनके साथ मिल जाए। ऐसे गुणों से युक्त मन हर किसी को ईश्वर से नहीं मिलते। ऐसे लोग विरले ही होते हैं जो अपने व्यक्तित्व के हुनर से बॉलीवुड के मशहूर गीतकार इंदीवर साहब के लिखे गीत “कैसे जीत लेते हैं लोग दिल किसी का, कोई तो बताए हमें ये प्यार का सलीका” को भी चरितार्थ करते हुए समाज में अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान बनाकर हर उम्र के सभी लोगों का दिल जीत लेते हैं। ईश्वर प्रदत इस गुण और इंदीवर साहब के लिखे यथार्थ इस गीत को चरितार्थ कर रहे हैं। शहर के सर्व समाज के चहेता, कुशल वक्ता, पूर्व कर्मठ पुलिस अधिकारी, एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी, बच्चों के सुयोग्य मार्ग मार्गदर्शक, कलम के धनी, उच्चकोटि के दूरदर्शी, नामचीन संपादक, कोमल हृदय से परिपूर्ण, अच्छे समाजसेवी रामचंद्र शर्मा जो आज शहर में नहीं अपितु पूरे जिले में अपने स्नेह भरे मुस्कान से और हृदय में समत्व भाव लिए हर किसी का दिल जीतकर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं।

संघर्ष से व्यक्तित्व को बनाए कुंदन – – यह सच है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में संघर्ष करते हैं और हर विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने में पूरे मनोयोग से समर्पित रहते हैं। ऐसे व्यक्ति ही अवसर आने पर अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब भी होते हैं साथ ही हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत भी बनते हैं। यूँ ही सर्व समाज के सर्वजन के चहेता मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी रामचंद्र शर्मा जो अपने जीवन में बचपन से संघर्ष क्या है? इसकी क्या परिभाषा है? अपने भाल के बहते सीकर से जाने हैं तो आँखों की कोर से छलकते असुवन रुपी से स्याही से इसकी परिभाषा को अभिव्यक्त करने में भी सफल हुए हैं।उनका लक्ष्य ही है जीवन के विविध क्षेत्रों में अपनी सकारात्मक दूरदर्शी सोच, अनवरत मेहनत, विशिष्ट कार्यशैली से अपनी एक अलग पहचान बनाना और वे जीवन के हर विपरीत परिस्थितियों से निरंतर संघर्ष करते हुए अपने व्यक्तित्व को कुंदन बनाने में कोई कमी नहीं किए हैं। इन्हीं संघर्षों का ही प्रतिफल है कि आज उनका व्यक्तित्व सर्व समाज में कुंदन की मानिंद दमक रहा है तो उनकी हर विशिष्ट कार्यशैली संदल की मानिंद आबोहवा में सुवासित हो रही है।

भावी पीढ़ी का भविष्य बना रहे उज्जवल – – आकर्षक व्यक्तित्व के धनी श्री शर्मा संत हृदय के हैं जो परपीड़ा को देखकर और उसके यथार्थ को जान – समझकर उनका हृदय सहसा नवनीत की तरह पिघल जाता है। इसकी बानगी कोरोना काल के दौरान देखने को मिली जब वे अनगिनत जरुरतमंद लोगों की हर संभव सहयोग तो किए ही साथ ही उस महामारी से काल कवलित हुए जरुरतमंद लोगों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में उनकी आत्मा का सम्मान करते हुए उनकी शांति के लिए सुयोग्य पंडितों के सानिध्य में हवन यज्ञ करवाए। जिसे देख सुनकर समाज के लोगों की आँखें खुशी से भर गईं तो उनके लोगों ने श्री शर्मा के इस नेक कार्यों से अवगत होकर हृदय से पुलकित होकर श्री शर्मा को दुआएँ दीं। इसी तरह इनके विराट व्यक्तित्व की यह भी खासियत है कि “नेकी कर दरिया में डाल” की कहावत को आत्मसात कर प्रतिपल समाज की सेवा करने में पवित्र मन से समर्पित नजर आते हैं। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं अपितु परम ध्रुव सत्य है कि आज मिलनसार सर्व चहेता श्री शर्मा अपने “संस्कार” स्कूल के माध्यम से समाज के बच्चों को बेहतर “संस्कार ” देकर उनके भविष्य को उज्जवल बना रहे हैं साथ ही हमारे समाज व देश की गरिमा को भी बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। जिससे सर्वजन वाकिफ भी हैं साथ ही इस नेक योगदान से भावी पीढ़ी भी लाभान्वित होगी।

दिल की दुआ से महकता रहे जीवन – – सर्वजन चहेता मृदुभाषी श्री शर्मा आज जीवन के 51वें बसंत में दस्तक दिए हैं। वहीं अपने इस उम्र के तमाम सकारात्मक अनुभवों को समाज के साथ खुशी से शेयर कर रहे हैं साथ ही भविष्य में भी यूँ ही इनका मार्गदर्शन हर किसी को मिलता रहेगा और सभी लोग लाभान्वित होते रहेंगे। साथ ही विराट व्यक्तित्व के धनी श्री रामचंद्र शर्मा को इस धरा पर अवतण दिवस की अनंत शुभकामनाएँ और दिल भी यही कह रहा हैं कि – –
हर दिल की दुआ से सदैव संदल सा
महकता रहे आपका जीवन
आप जहाँ भी रखें अपने कदम,
बस यश और कामयाबी से हो मिलन।।

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