रक्षाबंधन विशेष “स्नेह और संकल्प का पर्व है रक्षाबंधन”

रक्षाबंधन रक्षा के संकल्प का पर्व है।जिसके हाथ पर रक्षा (राखी) बांधी जाती है,वह बांधने वाले की रक्षा का वचन देता है।इस प्रकार रक्षाबंधन का त्यौहार भारतीय लोक संस्कृति की एक सुंदर परंपरा है।यह स्नेह का त्यौहार, बलिदान का उत्सव और प्रतिज्ञा का पर्व है।यह स्नेह,मिलन, हर्ष, उल्लास,तथा भाई-बहन के पवित्र प्रेम का द्योतक है।तभी तो कहते हैं – कच्चे धागों में बहनों का प्यार है। देखो,राखी का आया त्यौहार है।।रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के पवित्र स्नेह का ही बंधन मात्र नहीं है, अपितु दो आत्माओं,दो हृदयों एवं दो प्राणों की एक दूसरे के प्रति घनिष्ठता का प्रतीक है।इन राखी के कच्चे धागों का मान रखने के लिए कई भाईयों ने पौराणिक काल में प्राणों की आहूति दी है। ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक के अतिरिक्त इस त्यौहार का पारिवारिक महत्व भी है।इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाईयों पर रक्षासूत्र बांधती है।भाई के सुखद भविष्य की कामना करती हैं।भाई भी स्नेह के प्रतीक रूप में बहन को उपहार स्वरूप धनराशि या पसंदीदा उपहार भेंट करता है। इस त्यौहार का मूल उद्देश्य नारी रक्षा है।आज के भौतिकवादी युग में इन मान्यताओं ने कृत्रिमता का चोला पहन लिया है। बुद्धि तथा विज्ञान के विकास के कारण जीवन की सरस आस्थाएं भी लुप्त प्राय होती जा रही है। आजकल राखी का पवित्र भावनात्मक मूल्य भी धन द्वारा आंका जाने लगा है।यह बड़ी क्षुद्र भावना है। हमें इस त्यौहार के वास्तविक अर्थ को समझते हुए भाई-बहन में पवित्र स्नेह को जीवित रखने का प्रयास करना चाहिए। डॉ.मनीषा त्रिपाठी राज्य पाल पुरस्कार से सम्मानित प्रधान पाठक शासकीय रविशंकर प्राथमिक शाला रायगढ़ (छ.ग.)