कला - साहित्य
“जेहन से कभी विस्मृत नहीं होती स्मृतियाँ”

कुछ स्मृतियाँ जो नहीं तराशी गई
कुछ स्मृतियाँ जो लोगों से छुपाई गई
कुछ स्मृतियाँ जिन्हें व्यक्त होने को शब्द नहीं मिले
कुछ स्मृतियाँ जिन्हें आवाज नहीं मिली
वो बदल गई बुरी यादों में
और हो गई खंडहर किसी के मन मस्तिष्क में
कुछ स्मृतियाँ जाहिर की गई
जिन पर लिखी गईं काव्य – कविताएँ
कुछ स्मृतियाँ जिन्हें गाया गया,
सुनाया गया, नक्काशा गया
वे बदल गई स्मारक और ग्रंथों में
दरअसल
प्रेम का प्रदर्शन ही प्रेम की परिकाष्ठा तय करता है
क्योंकि
जेहन से कभी विस्मृत नहीं होती स्मृतियाँ
“हिना पुजारा”